मुख्य संपादक यशपाल सिंह
रिर्पोट अमित कुमार
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खनिज विभाग व आरटीओ की नजर क्यों नहीं पड़ रही है रोड के किनारे लगे मौरंग के डम्पो पर
रोड के किनारे लगे डम्पो से मौरंग हवाओं के साथ उड़ती है और राहगीरों के आंखों में पड़ती है जिससे एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहता है
रोड के किनारे कई किलोमीटर तक लगा रहता है मौरंग का डंप दर्जनों से अधिक रोज खड़ी रहती हैं ओवरलोड मौरंग की गाड़ियां पर किसी भी विभाग के अधिकारियों को नहीं दिखता है केवल बीच-बीच में खाना पूर्ति करने के लिए निकलते हैं अधिकारी
अगर देखा जाए तो लालगंज फतेहपुर मार्ग पर कई किलोमीटर तक रोड के किनारे लगा है मौरंग का डंप पर नहीं पहुंचती हैं अधिकारियों की नजर या सिर्फ खाना पूर्ति करने के लिए ही बीच-बीच में निकला करते हैं अधिकारि
इसी तरह न जाने कहां-कहां और कितना डंप लगा है पर इससे किसी भी अधिकारी को कोई मतलब नहीं है वही बाद में घटना घटित होने के बाद सिर्फ खाना पूर्ति करने के लिए पहुंचते हैं अधिकारी
खनन नियमों के मुताबिक मौरंग डंप करने के लिए खनिज विभाग से डंपिंग का लाइसेंस लेना होता है। इसकी फीस घनमीटर के हिसाब से सरकारी खजाने में जमा करनी पड़ती है। नियम और शर्तों के आधार पर डंप लाइसेंस प्रदान होता है।मौरंग डंपिंग रात दिन जारी है लगाए जा रहे हैं डंप के सहारे व्यवसायियों ने करोड़ों की कमाई का मंसूबा पाल रखा है।
बारिश में महंगी हो जाती हैं मोरंग इन्हीं डंप से बाद में व्यापारी महंगे दामों पर बेचते हैं मौरंग जिससे उनको लाखों का मुनाफा होता है लेकिन राजस्व को काफी नुकसान होता है
जब पट्टा क्षेत्रों में मौरंग खनन बंद हो जाता है, तो मौरंग सप्लाई के लिए यही डंप काम आते हैं। अभी मौरंग डंप करने वाले व्यवसायी बाद में मंहगे दामों में मौरंग बेच कर करोड़ों का लाभ कमाते हैं। वहीं, नियमानुसार डंप का लाइसेंस न लेकर करोडों का चूना राजस्व के रूप में लगा देते हैं।
क्या इन रोड के किनारे लगे मौरंग के डम्पो और ओवरलोड खड़ी गाड़ियों पर होगी कार्रवाई या फिर गठबंधन जैसा चलता रहेगा खेल