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रिपोर्ट ओमप्रकाश सिंह बलिया

बलिया।”‘दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उलफत,मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी”।
18 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए शहीद हुए द्वाबा के अमर सपूतों की स्मृति में रविवार को बैरिया के शाहिद स्मारक पर जिले के कोने कोने से आई भीड़ ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।इस अवसर पर बैरिया विधायक जयप्रकाश अंचल ने उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि
बैरिया के हर गांव की मिट्टी की खुशबू उन वीर शहीदों की याद दिलाती है, जिन्होंने देश में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका था।18 अगस्त की क्रांति, एक दिवस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिवस वीर सपूतों के बलिदान, अदम्य साहस और संघर्ष का प्रतीक है। यही वजह है कि इस दिन बैरिया के शहीद स्मारक पर जिले भर से लोग जुटते है और वीरों को याद किया जाता है।कहा कि कई शहादत और लंबे संघर्ष के बाद देशवासियों ने आजाद भारत का सूर्योदय देखा था।इसके लिए देश के हर घर में एक ज्वाला उठी थी, जिसने समय के साथ-साथ अपने विशाल रूप धारण किया और क्रांति की आग ने भारत की आजादी के सपने को सच करने में सहयोग किया। यही वजह है कि इस दिन बैरिया के शहीद स्मारक पर देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।श्रधांजलि देने वालों में शिव शरण तिवारी अजय सिंह संजय यादव राजप्रताप यादव उमेश यादव संजय उपाध्याय वीरेंद्र यादव विनोद यादव सुमेर यादव मुन्ना गोंड़ आदि रहे।